Skip to main content

सुर सुंदरी यक्षणी साधना विधि- Sur Sundari Yakshini Mantra Sadhna

सुर सुंदरी यक्षणी साधना विधि
Sur Sundari Yakshini Mantra Sadhna 

Sur sundari yakshini mantra sadhna in hindi, yakshini sadhna vidhi, sur sundari yakshini sadhna meaning, सुर सुन्दरी यक्षणी मंत्र साधना विधि


सुर सुंदरी यक्षणी साधना की सम्पूर्ण  विधि - सभी यक्षणी साधनाओं में से सुर सुंदरी देवी की साधना बहुत अहम स्थान रखती है। यह साधना प्रतिष्ठा, भौतिक सुख, सम्पति, धन, तेज़, आकर्षण प्रदान करने वाली साधना है। कई लोगों ने यक्षणी साधनाओं के बारे में बहुत मिथ्या और डरावनी बातों का विख्यान करके लोगों को इन यक्षणी साधनाओं से बहुत दूर कर दिया है। मगर सच तो यही है कि जैसे हम अन्य देवी-देवताओं की साधना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं, वैसे ही यह यक्षणीयां भी हमें देवताओं की भांति प्रसन्न होकर वरदान देती हैं। इन यक्षणी साधना की विशेषता यह है कि यह बहुत शीघ्र फल प्रदान करने वाली साधना है। यदि कोई साधक इनकी साधना पूर्ण निष्ठा और विश्वास से शुरू कर दे तो उसे अलौकिक अनुभूतियाँ होने लगती हैं और यक्षणी देवी प्रसन्न होकर उसे मन-इच्छित वरदान देती हैं। 

आपका एक और भ्रम दूर कर दें कि यक्षणी का प्रत्यक्षीकरण करना कोई आसान बात नहीं है। जैसा आप ज्यादातर किताबों में पढ़ते हैं कि 21, 30 या 40 दिन साधना करने से सुर सुंदरी यक्षणी व्यक्ति के सामने प्रत्यक्ष होकर उससे वरदान मांगने को बोलती है। यह सब साधक की साधना के ऊपर निर्भर करता है कि देवी कितनी देर में साधक के समक्ष प्रत्यक्ष होगी। यदि कोई साधक पहले से रोज़ाना कोई भी मंत्र या ध्यान साधना करता है तो उसकी एकाग्रता शक्ति बहुत बढ़ चुकी होती है और ऐसे साधक को सफलता बहुत शीघ्र प्राप्त होती है और यदि कोई व्यक्ति पहले किसी भी देवी-देवता या अन्य कोई ध्यान साधना को वक़्त नहीं देता रहा हो तो उसे ज्यादा वक़्त लग सकता है। 

कई साधकों को साधना के कुछ दिनों की शुरुआत में ही अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाती है। जैसे साधना में पायल के घुंघरुओं की आवाज़ आना, धरती का हिलना महसूस होना, साधना करते वक़्त ऐसा महसूस होना जैसे आपके पास कोई बैठा है या आपके आस-पास कोई घूम रहा है। कई बार आपको स्वपन में भी सुर सुंदरी देवी अपने किसी रूप के दर्शन भी दे सकती है। याद रहे यदि आपको
अनुभूतियाँ होनी शुरू हो जाएँ तो आप समझ लें कि आप सही रस्ते पर चल रहे हो और सफलता आपके बहुत करीब है। यदि आपको 21, 30 या 40 दिन तक भी कोई अनुभूति या प्रत्यक्षीकरण नहीं होता है तो आपको अपनी साधना निरंतर जारी रखनी चाहिए। जरुरी नहीं है कि देवी का प्रत्यक्षीकरण हो तभी साधना को सफल समझना चाहिए। यदि आपने 21, 30 या 40 दिन की साधना सम्पूर्ण कर ली है। फिर भी आप देवी 
के मंत्र का आवाहन करके उनसे कोई कार्य करवाना चाहोगे तो आपका कार्य अवश्य सिद्ध होगा। वैसे तो साधना निरंतर करते रहने से देवी अपनी कृपा ऐसे ही बरसाना शुरू कर देती है और साधक के सभी कार्य अपने आप ही सिद्ध होने शुरू हो जाते हैं। 

अब बात करते हैं कि देवी को माता, बहन, पत्नी या प्रेमिका में से किस रूप में संकल्प लेकर साधना शुरू करनी चाहिए। तो आपको यहाँ पर बता देते हैं कि आपकी माता जो आपके लिए कार्य करती है, आपकी बहन आपके लिए जो कार्य करती है, आपकी पत्नी आपके लिए जो कार्य करती है और आपकी प्रेमिका आपके लिए जो कार्य करती है वही काम सुर सुंदरी देवी आपके लिए करेगी जैसी भावना से आपने उसकी साधना की है। याद रहे पत्नी किसी अन्य पत्नी को बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसलिए यदि आपने ब्रह्मचर्य रहकर पूरी ज़िंदगी व्यतीत करनी है तो ही आप पत्नी रूप में देवी का आवाहन कर सकते हो। प्रेमिका रूप में भी यदि भोग की इच्छा रखकर साधना की जाए तो साधना में कभी भी सफलता नहीं मिलेगी। क्यूंकि प्रत्येक साधना जतेन्द्र्य होकर की जाती है और आपकी शुरुआत ही भोग की इच्छा से होगी तो आप कभी सफल नहीं होंगे। आगे हम आपको सुर सुंदरी यक्षिणी की साधना की सम्पूर्ण विधि बताते हैं।   

विधि - सुर सुंदरी यक्षिणी की साधना आप किसी भी शुक्ल पक्ष के रविवार या शुक्रवार को शुरू कर सकते हैं। साधना के लिए किसी एकांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें यहाँ पर साधना के वक़्त आपको कोई परेशानी न हो। साधना के लिए आपने रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का प्रयोग करना है। साधना पूर्व दिशा की और मुख करके करनी है। साधना में यक्षणी यन्त्र का प्रयोग करें तो बहुत अधिक लाभ होगा। यन्त्र को पूर्व दिशा की और किसी स्वच्छ स्थान पर स्थापित करना है। साधना के पहले दिन शुरुआत करने से पहले गणेश पूजा, गुरु पूजा और कुलदेवता की पूजा करके फिर जितने दिन जितनी संख्या में जाप करना है उसका संकल्प लेना है। संकल्प की विधि जानने के लिए हमारे पेज संकल्प की विधि पर क्लिक करके जानकारी प्राप्त कर सकते हो। उसके बाद आपने एकाग्रचित होकर नीचे दिए हुए मंत्र का जाप शुरू कर देना है। वैसे तो सुर सुंदरी यक्षणी का 3 समय 2000 जाप करने का विधान है। मगर आप यदि एकाग्रचित और श्रद्धा-विश्वास के साथ केवल रात्रि के समय 10 बजे के बाद कम से कम 10 माला रोज़ाना जाप भी करोगे तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी। याद रहे जप संख्या से ज्यादा आप कितनी श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करते हो यह ज्यादा मायने रखता है। कम से कम 21 दिन का संकल्प लेकर जाप करें। साधना में रोज़ाना जप सम्य, जप संख्या और जप करने का स्थान एक होना चाहिए। यदि देवी की कृपा हुई तो 6-7 दिनों के बाद आपको अनुभूतियाँ होनी शुरू हो सकती हैं। तब घबराएं नहीं बल्कि और एकाग्रता में विश्वास से अपना जाप जारी रखने। देवी के यन्त्र को रोज़ाना सफ़ेद पुष्प अर्पण करें और साधना के पहले दिन साधना शुरू करने से पहले शिव मंदिर में पूजा जरूर करें। सुर सुंदरी यक्षणी शिव-पारवती की पूजा से बहुत प्रसन होती है। आप जितनी संख्या में जाप करें उसका दशांश (दसवां हिस्सा) मंत्र आहुति देकर हवन जरूर करें। हवन सामग्री में गूगल की मात्रा अधिक रखनी है। आप हमारे पेज सरल हवन विधि पर क्लिक करके हवन करने की विधि जान सकते हो। साधना के आखिर वाले दिन में चावल और दूध की खीर बनाकर मन्त्र से आहुति देकर हवन करें। यदि सुर सुंदरी यक्षणी साधना के बीच प्रत्यक्ष होकर वचन मांगने को बोले तो उससे यह वचन लें कि मैं जब भी आपका आवाहन करुं तो आप मेरे कार्य सिद्ध करें। यदि साधना में प्रत्यक्षीकरण ना भी हो तब भी साधना सम्पूर्ण होने के बाद अपना जप जारी रखें। साधना को निरंतर करते रहने से सुर सुंदरी यक्षणी अप्रत्यक्ष रूप में साधक के पास रहकर उसके कार्य करती रहती है। यह देवी व्यक्ति को रंक से राजा तक बनाने में समक्ष है। साधना जब सम्पूर्ण हो जाये तो साधना में जिस यन्त्र और माला का प्रयोग किया है उसका विसर्जन कर देना है। 

सुर सुंदरी यक्षणी मंत्र - Sur Sundari Yakshini Mantra 

ॐ ह्रीं आगच्छ सुर सुंदरी स्वाहा

Om Harim Aagach Sur Sundari Swaha.

कुंडली दिखाए:- आप घर बैठे कुंडली का विश्लेषण करा सकते हो। सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली, नवमांश कुंडली, गोचर और अष्टकवर्ग, महादशा और अंतरदशा, कुंडली में बनने वाले शुभ और अशुभ योग, ग्रहों की स्थिति और बल का विचार, भावों का विचार, अशुभ ग्रहों की शांति के उपाय, शुभ ग्रहों के रत्न, नक्षत्रों पर विचार करके रिपोर्ट तैयार की जाती है। सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण की फीस मात्र 500 रुपये है।  Whatsapp-8360319129  Barjinder Saini (Master in Astrology)


यदि आप घर बैठे फ्री में ज्योतिष शास्त्र सीखना चाहते हो तो हमारे पेज Free Astrology Classes in Hindi पर क्लिक करें| 

 

Comments

Popular posts from this blog

लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभ- Cats eye Stone Benefits in hindi

लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभ Cats Eye Stone Benefits in hindi लहसुनिया रत्न धारण करने के लाभ और पहचान (Cats Eye Stone Benefits) - लहसुनिया रत्न केतु ग्रह को बल देने के लिए धारण किया जाता है। जब कुंडली में केतु ग्रह किसी शुभ भावेश की राशि और शुभ भाव में विराजित हो तब केतु का रत्न लहसुनिया धारण करना चाहिए। यदि कुंडली में केतु की स्थिति बुरे भावेश या बुरे भाव में हो तब केतु का रत्न लहसुनिया धारण नहीं करना चाहिए। इसलिए केतु का रत्न धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिष की परामर्श ले लेनी चाहिए। यदि कुंडली में केतु की स्थिति अच्छी है तो लहसुनिया रत्न धारण करने से व्यक्ति अध्यात्म की और तरक्की करता है और यह धारण करने से व्यक्ति की नकारत्मक शक्तियों से रक्षा होती है और स्वास्थ्य व् आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। हम आगे आपको लहसुनिया रत्न धारण करने के नियम और लाभ बताते हैं।   लहसुनिया रत्न गोमेद धारण करने के नियम - लहसुनिया रत्न धारण करने से पहले आपको यह समझना होगा कि केतु ग्रह की स्थिति को कुंडली में कैसा देखा जाता है और कौन सी स्थिति में केतु अच्छे फल देता है और कौन सी स्थिति में क...