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कुंडली में विष योग - Vish Yoga in Kundali in hindi

कुंडली में विष योग 
Vish Yoga in Kundali in hindi

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कुंडली में विष योग कैसे देखे - कुंडली में नकारत्मक बनने वाले योगों में से विष योग एक बहुत नकारत्मक योग है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रबल विष योग बनता है तो उस व्यक्ति को मानसिक परेशानी, कार्यों में विघन, कुंडली के जिस भाव में विष योग बन रहा हो उससे सम्बंधित फलों में रूकावट आती है। 

कुंडली में विष योग शनि और चंद्र की युति होने पर बनता है। मगर किसी भाव में सिर्फ शनि और चंद्र ग्रह की युति मात्र होने से विष योग नहीं बनता है, उसके लिए कुछ शर्तों का होना बहुत जरुरी होता है। कई कुंडलिओं में यह योग बनता तो दिखाई देता है, मगर यदि उनके ऊपर सभी नियम लगाकर देखे तो ज्यादातर कुंडलिओं में यह योग भंग हो जाता है। हम आपको आगे विष योग बनाने वाले सारे नियमों के बारे में बताते हैं और साथ में यह योग भंग कैसे होता है, उसके बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी देते हैं। साथ में आपको विष योग का समाधान क्या करना है उसके बारे में भी बताते हैं। 

विष योग बनाने वाले नियम 
How to check vish yog in kundali

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चंद्र का निर्बल होना और शनि का मारक होना - यदि कुंडली में शनि गृह मारक ग्रह है और चंद्र ग्रह पक्ष बल में कमजोर है तो विष योग बहुत प्रबल बनता है। जैसे आप ऊपर चित्र नंबर. 1 में देख रहे हो कि इस जन्म कुंडली में शनि मारक होकर दशम भाव में है और चंद्र पक्ष बलि भी नहीं है। चंद्र जिस भाव में बैठा है उसके एक भाव पीछे सूर्य विराजित है। इस तरह से चंद्र यहाँ पर पक्ष बलि नहीं रहता है और ऊपर से मारक शनि से युति होने से यह विषयोग बहुत प्रबल माना जायेगा। मगर यहाँ पर भी दोनों ग्रहों की अंशात्मक दूरी जरूर देख लेनी चाहिए। ऐसे ही यदि यह योग त्रिक भाव (6, 8, 12) में या त्रिषडाये भाव (3, 6, 11) में यह योग बनता है तो ज्यादा नकारत्मक माना जाता है।  यदि कुंडली में विष योग बन रहा हो और शनि षटबल में कमजोर हो और चंद्र पक्ष बलि हो तो विष योग का प्रभाव ना मात्रा या बहुत कम हो जाता है। 

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लग्नेश शनि से विष योग - यदि कुंडली में शनि लग्नेश होकर किसी अच्छे भाव में चंद्र से युति बनाकर बैठे हो तो विष योग का निर्माण नहीं होता है। आपको पता ही होगा कि कुंडली में कभी भी लग्नेश व्यक्ति को नकारत्मक परिणाम नहीं देता है। मगर फिर भी यदि इस तरह के विष योग का निर्माण होता है तो व्यक्ति की ज़िंदगी में संघर्षों के बाद ही फलों की प्राप्ति होगी। शनि अपने कारकत्व के अनुसार ज़िंदगी को संघर्षशील जरूर बनाएगा, मगर साथ में संघर्षों के बाद फलों की भी प्राप्ति भी जरूर होगी। जैसे आप ऊपर चित्र नंबर. 2 में देख रहे हो कि यह कुंडली मकर लग्न की है और मकर राशि का स्वामी शनि ग्रह होता है तो यहाँ पर लग्नेश शनि लग्न भाव में ही चंद्र से युति बनाकर बैठा है। अब यहाँ पर शनि और चंद्र की लगन में युति होने से व्यक्ति की ज़िंदगी में संघर्षों के साथ फलों की प्राप्ति होगी। मगर यहाँ पर शनि सप्तमेश चंद्र के साथ बैठा है और शनि की सातवीं दृष्टि भी सप्तम भाव पर होने से यह व्यक्ति की शादी में देरी जरूर करा सकता है। 

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दो भावों में विष योग का निर्माण - कुंडली में सिर्फ एक भाव में ही शनि और चंद्र की युति होने से विष योग नहीं बनता बल्कि कई बार कुंडली में दोनों में से एक ग्रह किसी भाव में आखिर में बैठा हो और दूसरा ग्रह उससे अगले भाव में शुरू में बैठा हो तब भी यह विष योग का निर्माण होता है। जैसे आप ऊपर चित्र नंबर. 3 में देख रहे हो कि यहाँ पर शनि दशम भाव में 28 अंश (Degree) के करीब बैठा हुआ है और चंद्र यहाँ पर 3 अंश (Degree) के करीब बैठा हुआ है। अब यहाँ पर भले ही दोनों ग्रह अलग अलग भाव में बैठे हो मगर दोनों की अंशात्मक (Degree Wise) दूरी बहुत कम है। इसलिए यहाँ पर भी विष योग का निर्माण होता है।  

अंशात्मक दूरी का विचार - मान लीजिये आपकी कुंडली में शनि और चंद्र किसी एक भाव में बैठे हैं और दोनों की अंशतमात (Degree wise) दूरी बहुत ज्यादा है तो यह योग भंग हो जाता है। मान लीजिये शनि कुण्डली के तृत्य भाव में 1 या 2 अंश (Degree) के करीब बैठा है और उसी भाव में चंद्र 25-26 या इससे अधिक अंश (Degree) के करीब बैठा हो तो यहाँ पर इन दोनों ग्रहों की अंशात्मक (Degree wise) दूरी 20 अंश से ज्यादा हो जाती है, इसलिए इन दोनों ग्रहों की यह युति नज़दीक ना होने से यह योग ना मात्रा दोष ही बनता है। ऐसे ही शनि चंद्र की किसी भाव में अंशात्मक (Degree wise) दूरी जितनी कम होगी उतना ही प्रबल विष योग बनेगा और जितनी अधिक दूरी पर बैठे होंगे उतना प्रभाव व्यक्ति पर कम आएगा। 

विष योग का निवारण- Vish Yog Remedies

आपको यह तो पता है कि विष योग जन्म कुंडली में शनि और चंद्र की युति से बनता है। अब हम बात करेंगे कि विष योग बनने पर आपको क्या क्या उपाए करने चाहिए। यदि कुंडली में विष योग बन रहा हो और चंद्र में पक्ष बल नहीं है और चंद्र कुंडली में योग कारक ग्रह है तो आपको चंद्र ग्रह को बल देने के लिए सोचा मोती चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए या चांदी की 5.25 ग्राम की गोली का लॉकेट गले में धारण करना चाहिए। चंद्र को बल देने के लिए आप चंद्र के बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हो। यदि कुंडली में चंद्र मारक है तो पूर्णिमा के दिन चंद्र देव को कच्ची लस्सी में चावल दाल कर अर्क देना चाहिए और उनको नमस्कार करना चाहिए। चंद्र ग्रह मारक होने पर उससे सम्बंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। यदि कुंडली में विष योग बन रहा हो और शनि मारक हो तो आपको शनि के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए और साथ में शनि से सबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए।  

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Comments

  1. Mera Kumbh lagn ki kundli hai aur Shani and Chandra dev, 1st house me hai. Shani ka degree 28° hai aur chandra ka degree 13° hai. Mere kundli ke 1st house me Shani aur chandra sath me hai to kya mera bhi vish yog hai? Please bataye

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